लखनऊ । उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने बिजनौर, शामली, जालौन सहित कई पुलिस अधीक्षकों का स्थानांतरण

➡️ लखनऊ । उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने बिजनौर, शामली, जालौन सहित कई पुलिस अधीक्षकों का स्थानांतरण किया ।
➡️2011 बैच के राजेश कुमार सिंह पुलिस अधीक्षक एट को पुलिस उपयुक्त पुलिस कमिश्नरेट कानपुर नगर बनाया ।
➡️ 2013 बैच के श्याम नारायण सिंह पुलिस उपयुक्त पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी को पुलिस अधीक्षक एटा ।
➡️2014 बैच के गौरव वंशवाल पुलिस अधीक्षक प्रशिक्षण एवं सुरक्षा उत्तर प्रदेश लखनऊ को पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्नरेट वाराणसी ।
➡️2015 बैच के अभिषेक पुलिस अधीक्षक शामली को पुलिस अधीक्षक बिजनौर बनाया ।
➡️20 15 बैच के नीरज कुमार जादौन पुलिस अधीक्षक बिजनौर को पुलिस अधीक्षक हरदोई नियुक्त किया ।
➡️2017 बैच के ईराज राजा पुलिस अधीक्षक जालौन को पुलिस अधीक्षक गाजीपुर बनाया ।
➡️2000 के रामसेवक गौतम पुलिस उपयुक्त पुलिस कमिश्नरेट कानपुर नगर को पुलिस अधीक्षक शामली ।
➡️ केशव चंद्र गोस्वामी पुलिस अधीक्षक हरदोई को पुलिस अधीक्षक अधिसूचना मुख्यालय लखनऊ ।
➡️डॉक्टर ओमवीर सिंह पुलिस अधीक्षक गाजीपुर को पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ ।
➡️डॉक्टर दुर्गेश कुमार पुलिस उपायुक्त पुलिस कमिश्रेट को पुलिस अधीक्षक जालौन बनाया गया है ।

➡️*डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ*


भारत के मुख्य न्यायधीश डॉ डीवाई चंद्रचूड़ के साथ छात्रों को प्रदान की स्नातक, परास्नातक और शोध की डिग्री
न्याय संगत व्यवस्था हर किसी को प्रिय, समयबद्ध न्याय के लिए उस फील्ड के विशेषज्ञ उतने ही महत्वपूर्णः योगी
अधिवक्ताओं पर आमजन का विश्वास उनकी सबसे बड़ी पूंजी, यह विश्वास बार और बेंच दोनों पर बना रहना चाहिएः मुख्यमंत्री
लखनऊ, 13 जुलाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर उन्होंने मुख्य अतिथि और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूण के साथ छात्रों को उपाधि प्रदान की। कार्यक्रम में सीएम योगी ने कहा कि सुशासन की पहली शर्त है विधि का शासन। न्याय संगत व्यवस्था हर व्यक्ति को प्रिय है और न्याय समय पर हो, समयबद्ध तरीके से हो, इसके लिए उस फील्ड के विशेषज्ञ उतने ही महत्वपूर्ण होते हैं। विधि के इस शासन के लिए ही आज भारत जाना जा रहा है। परसेप्शन बदलने में, आमजन की धारणा बदलने के लिए, देश और दुनिया की धारणा बदलने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय एक सही राह पर आगे बढ़ चुका है। यहां के उपाधि प्राप्त करने वाले जितने भी स्नातक, परास्नातक और शोध करने वाले छात्र हैं, वे अपने कार्यों के माध्यम से न सिर्फ विश्वविद्यालय को बल्कि समाज और राष्ट्र को लाभान्वित करके अपने अभिभावकों और अपने गुरुजनों को गौरवान्वित करने का कार्य करेंगे।
मुख्य न्यायधीश की बातों की हर कोई करता है सराहना*
सीएम योगी ने भारत के मुख्य न्यायधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ का स्वागत करते हुए कहा कि भारत के अंदर विधि का शासन हो, अच्छे विधि विशेषज्ञ स्नातक, परास्नातक और शोध की डिग्री लेने के उपरांत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण के अभियान का हिस्सा बन सकें, इसके प्रति यहां के छात्रों के अंतःकरण की जिजीविषा के कारण ही आज यह संयोग देखने को मिल रहा है कि विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में भी मुख्य अतिथि के रूप में भारत के मुख्य न्यायधीश डॉ डीवाई चंद्रचूड़ का आशीर्वाद उन्हें मिल रहा है। इससे पहले भी दो दीक्षांत समारोह में उनका आशीर्वाद यहां के विद्यार्थियों को प्राप्त होता रहा है। इस अवसर पर उनकी उपस्थित हम सबको आह्लादित करती है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय में जाने से पूर्व इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल उत्तर प्रदेश वासियों के लिए और न्याय जगत के लिए अविस्मरणीय पल रहा है। आज भी उत्तर प्रदेश का वासी, न्याय जगत में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति बड़े ही सकारात्मक भाव से उनकी बातों की सराहना करता है।
सकारात्मक राह पर है विश्वविद्यालय
सीएम योगी ने कहा कि जब मुख्य न्यायाधीश उपाधि प्राप्त करने वाले उपाधि धारकों से परिचय पूछने के साथ-साथ वर्तमान में उनके कार्यों के बारे में पूछ रहे थे तो ये देखकर प्रसन्नता हो रही थी कि बहुत सारे उपाधि धारक न्यायिक क्षेत्र की अलग-अलग जगहों पर जाकर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। यानी विश्वविद्यालय की राह सही है, सकारात्मक है। उस पहल के साथ हम सबको भी जुड़ना होगा। बार और बेंच का बेहतर समन्वय बहुत महत्वपूर्ण है। एक आम जनमानस आपके पास एक उम्मीद लेकर आता है। हम देखते हैं कि परिवारिक विवादों को लेकर जब लोग आते हैं तो वह किसी की नहीं सुनते, लेकिन अधिवक्ता जहां कहता है वो वहां आंख बंद करके साइन कर देते हैं, क्योंकि अधिवक्ता पर उनका विश्वास है। यह विश्वास आपकी सबसे बड़ी पूंजी है और यह विश्वास सामान्य नागरिक का बार और बेंच दोनों पर बना रहना चाहिए। इस विश्वास पर खरा उतरना हम सबके लिए सदैव सबसे बड़ी चुनौती रही है, क्योंकि बदलते हुए परिवेश में लोगों की आवश्यकताएं, तौर तरीके, टेक्नोलॉजी व्यक्ति को भी और व्यवस्था को भी बदलती है।
सकारात्मक राह जीवन ही नहीं राष्ट्र हित में भी
सीएम योगी ने कहा कि बदलाव की राह क्या होनी चाहिए, वो सकारात्मक है या नकारात्मक ये हमको तय करना है। यदि हमारी राह सकारात्मक होगी तो आपकी राह न्यायिक जगत ही नहीं, जीवन के हर एक क्षेत्र में बहुत उज्ज्वल होगी। अगर राह नकारात्मक होगी तो यह न आपके व्यक्तिगत हित में होगी, न समाज के और न ही राष्ट्र के हित में होगी। इस अवसर पर एक पुरानी कहावत याद आती है कि परिवार के हित में व्यक्ति को छोड़ना पड़े तो हमें उसमें परहेज नहीं करना चाहिए। वहीं, गांव के हित में परिवार को भी छोड़ना पड़े तो परहेज नहीं करना चाहिए। और अगर समाज के हित में गांव से परहेज करना पड़े तो भी हमें उसकी परवाह नहीं करनी चाहिए। यदि राष्ट्र के हित में इन सबसे अलग हटना पड़े तो राष्ट्र हमारे जीवन में सर्वोच्च होना चाहिए। जब इस ध्येय के साथ हम कार्य करते हैं तो यह छोटी बातें आपको प्रभावित नहीं कर पाएंगी।
कर्तव्यों के प्रति सजग होकर काम करना ही हमारा धर्म
सीएम योगी ने कहा कि कुलपति महोदय जब दीक्षांत उपदेश पढ़ रहे थे तो उसमें तृतीय उपनिषद की बात कर रहे थे। एक स्नातक के जीवन में अच्छा बनने के लिए क्या कुछ होना चाहिए, इसके विषय में उपनिषद विस्तार से बताता है। इसमें कहा गया है कि सत्यं वद, धर्म चरः अर्थात सत्य बोलना और धर्म का आचरण करना। धर्म सिर्फ उपासना विधि नहीं है। धर्म नैतिक मूल्यों का, सदाचार का और हमारे कर्तव्यों का एक पर्याय है जो देश, काल और परिस्थितियों से बिना प्रभावित हुए हम सबको सम और विषम परिस्थितियों में अपने कर्तव्यों के प्रति आगाह करता है। अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होकर के काम करना, यही हमारा धर्म है और वो भी यदि राष्ट्र को साक्षी मानकर हम कार्य कर रहे हैं तो सचमुच हम अपनी उस ऋषि परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने आप को उसका उत्तराधिकारी कह सकते हैं, जिसने हजारों वर्ष पहले ये उपदेश उस काल खंड के युवाओं के लिए रचे थे। प्राचीन गुरुकुल की परंपरा में दीक्षांत समारोह एक समावर्तन समारोह के रूप में होता था, उस समय यह मान्यता थी कि जो भी यहां से स्नातक निकलेगा वह इतना परिपक्व होगा कि सारी परीक्षाओं को पास करके अपने भावी जीवन को आगे बढ़ाएगा। अगर हम भी अपने जीवन में बिना किसी चुनौती की परवाह किए खुद को ढालेंगे, उसका परिणाम हमारे हित में सुखद होगा, हमारे समाज और देश के हित में सुखद होगा। हम भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जाकर बहुत कुछ नया कर पाएंगे।


कानून पढ़ाने की प्रक्रिया में क्षेत्रीय भाषाओं का भी ध्यान रखना चाहिएः चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
भारत के मुख्य न्यायधीश डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने इस अवसर पर लॉ की पढ़ाई को क्षेत्रीय भाषा में कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अक्सर देश के तमाम शिक्षाविदों से विचार विमर्श करता हूं कि कैसे कानून की पढ़ाई को सरल भाषा में पढ़ाया जा सके। अगर हम कानून के सिद्धांतों को सरल भाषा में आम जनता को नहीं समझा पा रहे हैं तो इसमें कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा की कमी नजर आ रही है। कानून को पढ़ाने की प्रक्रिया में हमें क्षेत्रीय भाषाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए और मेरा सोचता हूं कि आरएम एनएलयू को जरूर हिंदी में एलएलबी कोर्स शुरू करना चाहिए। हमारे विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय मुद्दों से जुड़े कानूनों को भी पढ़ाना जाना चाहिए। मान लीजिए अगर कोई व्यक्ति आपके विश्वविद्यालय के पड़ोस के गांव में, गांव से विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय की विधिक सहायता केंद्र में आता है और अपनी जमीन से जुड़ी समस्या को बताता है, लेकिन यदि छात्र को खसरा और खतौनी का मतलब ही नहीं पता है तो छात्र उस व्यक्ति को कैसे मदद कर पाएगा। इसलिए जमीन संबंधित क्षेत्रीय कानूनों के बारे में भी छात्र को अवगत कराना चाहिए। उन्होंने अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में ऐसे कई निर्देश दिए हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया को आम लोगों के लिए आसान बनाया जा सके। उदाहरण के तौर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंग्रेजी में दिए गए निर्णयों का भारत के संविधान में प्रचलित विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है, जिससे आम जनता भी समझ सके कि निर्णय में आखिर लिखा क्या गया है। आज 1950 से लेकर 2024 तक सर्वोच्च न्यायालय के 37000 निर्णय है, जिनका हिंदी में अनुवाद हो गया है और यह सेवा सब नागरिकों के लिए मुफ्त है।
कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायायल के छह मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अमरपाल सिंह, विभागाध्यक्ष विधि प्रो. आदित्य प्रताप सिंह, उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह एवं इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कई न्यायमूर्ति उपस्थित रहे।

➡️उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया सत्य रूख अख्तियार डग्गामार और बिना परमिट के चलती मिलीं बसें तो नपेंगे बड़े अफसर।
डग्गामार और बिना परमिट बसों के खिलाफ प्रदेश में बड़ा अभियान चलाने के निर्देश
मुख्यमंत्री ने परिवहन विभाग के अधिकारियों को दी स्पष्ट चेतावनी*
कहा- डग्गामार और बिना परमिट वाले वाहनों को सड़क पर आने से पहले ही रोकें
यात्री बसों और स्कूल बसों का परमिट, फिटनेस, इंश्योरेंस और ड्राइवरों की जांच हो
सीएम के निर्देश के बाद परिवहन विभाग ने शुरू किया चेकिंग अभियान
लखनऊ, 13 जुलाई। उन्नाव बस हादसे को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अख्तियार किया है। परिवहन विभाग के अधिकारियों को सीएम योगी ने दो टूक निर्देश दिये हैं कि भविष्य में प्रदेश की सड़कों पर डग्गामार या बिना परमिट कोई बस चलती मिली तो संबंधित अधिकारियों की खैर नहीं। अपने सरकारी आवास पर एक अति महत्वपूर्ण बैठक के दौरान परिवहन विभाग के अधिकारियों को सीएम ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि प्रदेश में चल रही सभी यात्री बसों और स्कूल बसों का परमिट, फिटनेस, इंश्योरेंस और ड्राइवरों की गहनता से जांच की जाए। वहीं मुख्यमंत्री के कड़े रुख के बाद परिवहन विभाग ने पूरे प्रदेश में एक माह तक डग्गामार और बिना परमिट वाले वाहनों के खिलाफ सघन चेकिंग अभियान के निर्देश जारी कर दिये हैं।


डग्गामार वाहनों को सड़क पर आने से पहले ही रोकें*
मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव परिवहन को निर्देशित करते हुए कहा कि आखिर डग्गामार और बिना परमिट वाली बसें सड़कों पर कैसे बेरोकटोक घूम रही हैं। ऐसी बसों के खिलाफ पूरी सख्ती के साथ अभियान चलाएं और इनके मालिकों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए। सीएम योगी ने स्पष्ट तौर पर निर्देशित करते हुए कहा है कि जहां भी इस प्रकार की बसों का संचालन हो रहा है, वहां के परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की जवाबदेही तय करते हुए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश में पंजीकृत सभी यात्री बस और स्कूल बसों के फिटनेस, परमिट, इंश्योरेंस और ड्राइवरों की जांच की जाए। इसके बाद कहीं भी कोई अप्रिय घटना हुई तो सीधे सीधे परिवहन विभाग के अधिकारी जिम्मेदार होंगे। कहा कि डग्गामार और बिना परमिट वाले वाहन किसी भी दशा में सड़क पर न उतरने पाए। उन्होंने कहा कि डग्गामार और बिना परमिट वाली बसों को सड़क पर आने से पहले ही रोकना होगा।
एक माह तक चलेगा सघन अभियान
मुख्यमंत्री के कड़े रुख के बाद परिवहन विभाग के आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने प्रदेश के सभी उप परिवहन आयुक्त (परिक्षेत्र), सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन/प्रवर्तन), सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन/प्रवर्तन) को निर्देश दिए हैं कि एक माह तक अनवरत रूप से सड़क अभियान चलाया जाए। इस दौरान यात्री बसों के साथ ही स्कूली वाहनों की भी चेकिंग की जाए। उन्होंने इसके लिए प्रदेश के विभिन्न टोल प्लाजा पर संभागीय परिवहन अधिकारियों की तिथिवार ड्यूटी लगा दी है। साथ ही निर्देश दिये हैं निर्धारित तिथियों में प्रत्येक सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) सम्बन्धित टोल प्लाजा पर स्वयं उपस्थित होकर सम्भाग के समस्त प्रवर्तन अधिकारियों के साथ इन्फोर्समेंट की कार्रवाई करेंगे। चिन्हित स्थानों पर एक-एक इण्टरसेप्टर तैनात की जाएगी। इस दौरान की जाने वाली कार्रवाई की जानकारी और फोटो विभाग के व्हाट्सएप ग्रुप में प्रेषित की जाएगी।

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