
रामचरण मैथिल
राजनीति की आड़ में गाय माता की दुर्दशा
नींद में सोया गौ रक्षक और भ्रष्ट नेता और प्रशासन
एक तरफ गए को राष्ट्रीय गौ माता का दर्जा देने की बात की जा रही है और उसी गौ माता की दुर्दशा अती दायनी होती जा रही है चुनाव आते ही ऐसे कई प्रकार की घोषणाएं और कई प्रकार की योजनाओं की बात की जाती है, वही गाय माता का भी चर्चा होता है कि हम गौशालाएं बनाएंगे और एक भी गए सड़क पर नहीं घूमती दिखाई देगी गौ माता के लिए हर प्रकार की सुविधा दी जाएगी कहां है वह गौ माता के नाम पर वोट मांगने वाले नेता ,और कहां है वह गौ रक्षक और कहां है वह गौ माता की दुहाई देने वाले देखो हमारी गौ माता की दुर्दशा हर गांव हर पंचायत हर नुक्कड़ हर चौराहे पर हर बस स्टैंड के चौराहे पर भूखी प्यासी बीच रोड पर बैठी नजर आ रही है खुद तो बोल नहीं सकती पर अपनी जान जोखिम में डालकर सड़क पर बैठी रहती है उसे यह नहीं मालूम कि वह कल किस गाड़ी वाले की चपेट में आकर अपनी जान खो दे उसे यह भी नहीं मालूम कि मुझसे टकराकर कोई गरीब व्यक्ति की जान भी जा सकती है वह भी घायल हो सकती है उसकी जान भी जा सकती है किसी मां का बेटा किसी बहन का भाई एक्सीडेंट का शिकार होकर अपने परिवार से बिछड़ सकता है नींद में सोने वाले अभिकारी जनहित के लिए थोड़ा तो शर्म करो अरे राजनीति मैं चूर रहने वाले नेताओं कहां सोया हुआ है तुम्हारा जमीन थोड़ी तो गौ माता के बारे में विचार करो तुम ही ने उनका चारागाह खत्म किया तुम ही ने जंगलों में उनका जाना आना बंद किया अब उनका खाने का और रहने का प्रबंध कहां कहां है
हम यह जानते हैं नेताओं और अधिकारियों का जन सहयोग इनके जनहित के कार्य यह जनहित के कार्य करने को कहते हैं और खुद की जैव जैव हित के कार्य करते हैं राजनेताओं की कठपुतली बनकर नाच रहा प्रशासन 5 साल की लीज पर चलने वाले नेताओं की कठपुतली बना नाच रहा प्रशासन
कैसे कहूं गर्व से कि मै हिंदू हूं?

गौ माता की ये दशा फिर भी कहता हूं में हिंदू हूं में गौ भक्त हूं
यह आवारा गौ वंश है जी। मुख्यमंत्री के आदेशौ की धज्जियां उड़ाता हुआं गौ वंश सुल्तानपुर दृश्य है,जो सुल्तानपुर एनएच 45 रोड पर ए से ही झुंड मैं रोड पर सैकड़ो की तादात में खडा था।
सुल्तानपुर मैं नगर परिषद है, उसके जिम्मेदार अधिकारी आंखो पे पट्टी बांधे बैठे हे सुल्तानपुर नगर बस स्टैंड पर मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है कुछ दूरी पर पुल के ऊपर मवेशी बैठी रहती है मजाल तो हैं के अपने आपको गो भक्त कहने वाले भक्त वहा से मवेशियों को हटा दें वही थोड़ी दूरी पर तहसील अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) हैं उसके अधिकारियों के आंखो के सामने रोड पर सैकड़ो मवेशी रोड पर खड़े रहते हैं मजाल तो हे के अधिकारी अपना फरमान चौकीदार या कर्म चारियो को दे दे के मवेशियों को रोड से हटाकर गौ शाला छोड़ दे अगर कोई घटना होती हे तो होती रहे हमे तो साहब अपनी कुर्सी देखना हे और शाम को अपना घर किसी की जान जाए तो जाए ।ओर सभ्य जनता भी है। जो अपने आप को गौ माता की सेवा करने वाली बताती है और सेवा भी इसी के जब तक गौ वंश दूध देती है तभी तक उसको घर में रखा जाता है जैसे ही दूध देना बंद किया स्वार्थी इंसान घरों से ढकेल का रोड़ों पर छोड़ देता है रोड पर मवेशी का एकसी डेंड हो या की मानव की जान जाए उनको कोई मतलब नहीं जब तक दुध दे रहा मवेशी गऊ तभी तक हमे उसकी सेवा करना है ऐसा हो गया स्वार्थी मानव अगर किसी से एक्सी डेट हो जाए तो गौ रक्षा की बड़ी बड़ी बाते करने वाले हो रक्षक इंसान की जान के दुश्मन बन जाएंगे लेकिन ये नही सोचेंगे ये घटना क्यों हुई इसका जिम्मेदार कोन हैं प्रशासन को चाहिए जो मवेशी रोड पर दिखाई देते हैं अगर कोई घटना होती हैं सब से पहले जिन लोगो की मवेशी है उनके ऊपर पहले एफ आई आर करना चाहिए ताकि रोड पर मवेशी छोड़ने की हिम्मत न करें अगर जब दूध खाने का इतना शोख है तो गऊ की सेवा भी घर में रखकर करें इस तरह दूसरो की जॉन से खिलवाड़ करना ये गऊ पालने वाले की जिम्मेदारी बनती है जिस तरह गऊ का दूध बेचकर अपने शोक पूरे करते हैं उसी तरह गाए को भी घर में रखकर उसको चारा खाली चुनी डालकर उसकी सेवा करें तो शायद सही गो भक्त बन सकते है रोड़ों पर छोड़ देना दूसरो की जान से खिलवाड़ करना ये केसे सेवा है सेवा करना है तो घर पर रखकर गो सेवा करे ताकि गो वंश के साथ साथ इंसान की जान भी न जाए सुल्तानपुर टहोरिया जोड़ पिपलिया बागासपुर सिलारी सेमरी सहित जगह रोड पर हजारों की तादात में मवेशी रोड़ों पर खड़े बैठे दिखाई देते हैं कई घटनाएं होती रहती है लेकिन जिम्मेदार मोन हैं वही करोड़ों रुपे खर्च कर हर पंचायत में गौ शाला निर्माण की गई लेकिन गो शाला के नाम पर हजारों रुपे आते हैं और जिम्मेदार खा जाते है लेकिन रोड़ों पर घूम रहे मवेशियों को गो शाला में नही छोड़ा जाता गो वंश के नाम पर खुदका तो पेट भर रहे हे लेकिन गो वंश को पानी में भीग ने के लिए रोड पर एक्सी डेट होने के लिए छोड़ रखा है उन गो शाला की भी जांच होना चाहिए उनकी क्षमता अधिक होने के बाद भी पशु उनमें नही हे गोशाला के सामने रोड पर खड़े रहते हैं
आखिर इनकी उचित व्यवस्था कैसे सम्भव है

शायद कभी नहीं।चुंकि हम सब स्वार्थी हैं,धोके बाज है, मात्र दिखावा करते हैं, गिरे हुए, गोपालक मानव, धार्मिक होने का नाटक करते हैं।
आखिर कैसे गर्व से कहु
कि “मैं हिंदू हूं”?
[सुल्तानपुर रोड पर आवारा पशुओ का जमांवाड़ा लगा रहता हे कहीं गोबर मे गाड़ी का पहिया पढ़ने पर गाड़ीया सिलिप् हो रही हे तो कहीं आवारा पशुओ से एक्सीडेंट हो रहे हे जब सरकार द्वारा पसुपालन् केंद्र खोले गए हे तो ये पशु रोड पर क्यूँ हे क्या इन पशुओ पर कोई रोक नहीं इन पशुओ को पशुपालन् मे जगह नहीं हे क्या