पेड़ों से पक्षी तड़पकर नीचे गिरकर मर रहे,
कारण पता करने में जुटा पशुपालन विभाग
गौहरगंज, ब्यूरो।
विज़ी लवानिया।
रविवार को गौहरगंज रेस्ट हाउस के सामने सुबह 09 से दस बजे के बीच मरणासन पर चार बगुले पड़े हुए दिखे। प्रत्यक्षदर्शियों के हिसाब से पेड़ से बे-सुध हो ज़मीं पर गिरकर कई बगुले प्रजाति के चार पक्षी अनजान तरह से मर गये। तीन रेस्ट हाउस के सामने व 01 वन विभाग के सामने मेन सड़क किनारे तड़प-तड़पकर मृत्य हुए। बता दें कि परिंदों के शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नही थे, जिससे यह कहा जा सके कि किसी इंसान द्वारा प्रत्यक्ष रूप से उन्हें मारा गया हो हां, कुछ जानकारों की माने तो इन्हें इंसानों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से मारा गया है। मूंग की फसल में दवाई द्वारा मारे गये कीड़ों को खाकर मृतक बगलों की मृत्यु हुई होगी। गर्मी का अधिक पड़ना, पानी न मिलने एवं टावरों की रेडिएशन भी कारण भी इनकी मौत के कारण हो सकते हैं। अब 05जी आ गया मतलब अधिक रेडिएशन का प्रवाह होना फिज़ाओ में लाज़मी है। अपने क्षणिक सुख के लिए व्यक्ति खुदका दुश्मन बन रहा है, जिसकी ज़द में पेड़, पौधे, पक्षी एवं जानवर आ रहे हैं। अधिक लालच के कारण ज़हरीला वातावरण व खान-पान होता जा रहा है। सीमेंट के जंगलों से प्रकृति के साथ पक्षियों को भी जाने-अनजाने भुकतान भुगतना पड़ रहा है। दुनिया एक चक्कर (रिसाइकल) की तरह काम करती है। इंसानी सुख के कारण बढ़ाने के चक्कर में आने वाली नसलों के लिए समस्याओं का अम्बार पैदा हो रहा है। …कहीं पंक्षी मरणावस्था में पेड़ों के ऊपर बने अपने आशियाने से गिर रहे हैं तो, कहीं सैकड़ों पेड़ो को काटकर इंसानी प्रतिनिधियों के आशियाने बनाने की तैयारियां की जा रही हैं। हमारा मतलब विधायकों के लिए बनाये जा रहे राजधानी में नये आवासों की ज़द में आ रहे पेड़ों को काटने की तैयारियों से ही है। पंक्षियों के मृत्यु के बारे में हमने एसडीएम एवं तहसीलदार गौहरगंज से बात की उन्होंने तुरंत पशुपालन विभाग से कर्मचारियों को भेजा एवं काली पन्नी में सभी मृत पक्षीयों के शवों को ले जाया गया। जांच के बाद ऊक्त पक्षियों की मौत के करणों का पता लगेगा। यह प्रवासी पक्षी हैं पंरन्तु इतने समय तक आदतन यह यहां रुकते नही हैं, लेकिन मोबाइल टावरों के रेडिएशन व अन्य कारणों से यह रास्ता भूल जाते हैं व जहां हैं वहिं के होते जा रहे हैं।
इनका कहना:-
“यह क्लाइमेट चेंच की वजह से मरे हैं। यह ई ग्रेड के हैं, प्रवासी नही हैं। लूं लगना व डिहाइड्रेशन से कारण ऐसा हुआ होगा। जहां तक रेडिएशन का सवाल है तो, यह अभी प्रमाणित नही हुआ है कि मोबाइल टावरों की वजह से कोई दिक्कत है। इससे पहले राजस्थान में कई 15 सांभर मर गये, जबकि ऊक्त फेमस पार्क में पीने का पानी पर्याप्त था व सांभर की जीभ चाकू की तरह होती है जो, पेड़ की छालों से भी पानी की पूर्ति कर लेते हैं। मतलब साफ है कि आने वाले समय में 50 डिग्री के ऊपर तापमान होने पर 72 घंटे से ज़्यादा इंसान भी इसी तरह मर सकते हैं। चार बगुलों में से एक का पीएम वेटनरी डॉक्टर से करवा लिया जाये तो, उससे स्पष्ठ हो जायेगा कि कुछ ज़हरीला पदार्थ खाकर तो मृत्यु नही हुई।”
स्वदेश वाघमारे,
पूर्व निदेशक वन विहार एवं पक्षी विशेषज्ञ