टीकमगढ़ रिपोर्टर प्रशांत सिंह
श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया
द्विवेदी परिवार का आयोजन
टीकमगढ़ / नगर के प्रतिष्ठित गौलोकवासी पंडित कृष्ण किशोर द्विवेदी जी के परिवार में श्रीमद्भागवत पुराण कथा के पांचवें दिन कथाव्यास ने देवकी के आठ संतानों की उत्पत्ति सहित श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाई ।
कथा के यजमान प्रशांत व प्रफुल्ल द्विवेदी ने बताया कि ये सौभाग्य पूर्वजों के आशीर्वाद से मिला है। मलूकपीठ व अग्रदेव पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास जी के पूज्य पिताश्री कथाव्यास पंडित रामस्वरूप पाण्डेय जी ने कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए बताया कि द्वापर में मथुरा देश के दो भाग थे तथा दोनों भाग पर दो वंशों के राजा का राज था । पहले बिष्टवंश में दो भाई देवक व उग्रसेन हुए,जिसमें देवक बड़े थे जिनके इकलौती पुत्री देवकी थी। जो राजपाट छोटे भाई उग्रसेन को सौंपकर भगवान आराधना में लीन हो गए। उग्रसेन को एक पुत्र कंस हुआ जो आताताई था। पिता को जेल में डाल कर राजा बन गया वहीं दूसरी भाग पर यदुवंश का राज जिसके राजा सूरसेन के 10 पुत्र व पांच पुत्री थी । यदुवंश के बड़े पुत्र वासुदेव थे वासुदेव का अठारहवां विवाह देवकी से हुआ । इसके बाद कंस ने आकाशवाणी को सुनकर दोनों को जेल में डाल दिया । कथाव्यास ने कहा कि भाद्रमास की अंधियारी रात्रि को अष्टमी के दिन कंस के मथुरा जेल में अचानक अलौकिक प्रकाश फैलने लगा और माता देवकी के गर्भ से श्री कृष्ण का प्राकट्य हुआ। वहां के समस्त बंदी मूर्छित हो गए जेल के दरवाजे खुल गए आकाशवाणी हुई जिसे सुनकर वासुदेव नन्हे बालक रूप में लेकर यमुनापार गोकुल नंद के घर पहुंचकर वहां से नवजात कन्या को लेकर वापस आए । सुबह होते ही गोकुल में नंद बाबा के घर बालक जन्म होने की बात पता चलते ही उत्सव मनाया जाने लगा ।कथा में कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर समूचा सभागार खुशी से झूम उठा। उपस्थित श्रोताओं ने भगवान कृष्ण के जय-जयकार के साथ झूमकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई। कथा सुनने नगर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। व्यास जी महाराज जी के साथ श्री कृष्ण दास जी महाराज एवं ईश्वर दास जी महाराज का मंगल आगमन हुआ