बच्ची व पत्नी की मौत, प्रताड़ित पति ने शासन प्रशासन को दिया 15 दिनों का अल्टीमेटम, कहा 2 वर्षीय बच्ची के साथ कर लूंगा आत्महत्या,

बच्ची व पत्नी की मौत, प्रताड़ित पति ने शासन प्रशासन को दिया 15 दिनों का अल्टीमेटम, कहा 2 वर्षीय बच्ची के साथ कर लूंगा आत्महत्या,

संगीन आरोप लगने के बावजूद भ्रष्ट अधिकारी डॉ. एस.एस धुर्वे पर शासन प्रशासन मेहरबान क्यों,

बीएमओ के आगे शासन प्रशासन हुआ नतमस्तक, कलेक्टर व एस.पी को ज्ञापन सौंपाकर लगाई न्याय की गुहार

नरसिंहपुर आशीष साहू गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लगातार अनियमिताओं को लेकर हमेशा सुर्खियों में ही रहा है और अभी कुछ दिनों से हर अखबार की हेडलाइंस बना है, गबन भ्रष्टाचार करप्शन मौत प्रताड़ित जैसे कई संगीन आरोप लगने के बाद डॉक्टर एस एस धुर्वे के खिलाफ शासन प्रशासन द्वारा ऐसे भ्रष्ट अधिकारी पर कोई कार्यवाही न करना सवालिया निशान खड़े होने के साथ-साथ इस भ्रष्ट अधिकारी को संरक्षण देने का किया जा रहा है यह कहने में इसलिए बुराई नहीं है कि इसके पहले कई ऐसे संगीन आरोप लगने के बाद शिकायत एवं ज्ञापन तक हो जाने पर सभी मीडिया अखबारों में इनके कारनामे गबन लापरवाही भ्रष्टाचार मौत जैसे संगीन मामलों को छापे जाने के बाद भी शासन प्रशासन द्वारा कार्यवाही न करना एवं संरक्षण देने का कार्य किया जा रहा है और इन पर पूरे तरह से मेहरबान है इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीएमओ डॉक्टर एस एस धुर्वे पर शासन प्रशासन नतमस्तक है तभी तो अब तक साहिब को कोई नोटिस या किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई है उनके खिलाफ एक बार फिर ऐसा ही एक और संगीन मामला फिर सामने आया है जिसमें शासन प्रशासन को आवेदक राजेंद्र मेहरा ग्राम सहजपुरा निवासी तहसील गोटेगांव ने कलेक्टर व एस.पी पुलिस अधीक्षक के नाम ज्ञापन एवं मीडिया में प्रेस नोट जारी कर 15 दिवस का समय देते हुए आत्महत्या करने की बात कह डाली और कहा न्याय नहीं मिला तो मैं अपनी 2 वर्षीय बच्ची के साथ आत्महत्या कर लूंगा जी हां विगत माह पूर्व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोटेगांव में डिलेवरी के दौरान प्रसव डॉक्टर उपस्थित नर्स स्टाफ द्वारा लापरवाही के द्वारा एक महिला और बच्चे की मौत हो गई थी यह मामला मीडिया में रहा और बहुत ज्यादा काफी सुर्खियों में रहा था लेकिन दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई थी लेकिन अब इसमें एक और नया मोड़ आया है जिस पर प्रार्थी राजेंद्र मेहरा ने कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक अमित कुमार के नाम अपना ज्ञापन सौपा है जिसमें उल्लेखित कर बताया कि मैंने आपको एवं सीएमएचओ नरसिंहपुर को दिनांक 07/05/2024 को पत्र दिया था जिसमें उल्लेख किया गया था कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों द्वारा घोर लापरवाही वर्तने के कारण मेरी पत्नि व बच्ची की प्रसव के दौरान गलत उपचार देने के कारण असमय मुत्यु हो गई ।सो महोदय जी आज 1 माह बीत जाने के उपरांत भी सी.एम.एच.ओ नरसिंहपुर द्वारा मेरे प्रकरण पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जो अनुचित है। सीएमएचओ द्वारा न तो किसी अधिकारी कर्मचारी को नोटिस दिया ना ही उनके द्वारा जांच समिति बनाई गई एवं ना ही जिला प्रशासन द्वारा आज तक कोई मुझसे मेरे व्यान लेने नहीं आया। इससे प्रतीत होता है कि सीएमएचओ नरसिंहपुर मेरे प्रकरण को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। चूंकि में दलित वर्ग से हूं के कारण मुझे लगता है जांच में जो बिलंब या रफा दफा करने का प्रयास किया जा रहा है। महोदय जी से करबद्ध प्रार्थना करता हूं निवेदन करता हूं कि संबंधित अधिकारियों (डॉ. एस. एस. धुर्वे, डॉ. रजनी सिंह, ड्यूटीरत स्टाफ नर्स जिसका मैं नाम नहीं जानता एवं गैर सरकारी कर्मचारी आरती बसोर) के विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की जावे अतः महोदय जी मैं मानसिक रूप से प्रताणित हूं चूंकि मेरा घर परिवार नष्ट हो गया है अगर 15 से 20 दिवस के अंदर इन पर सीएमएचओ द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती तो मैं अपनी दो वर्षीय बच्ची के साथ आत्महत्या करने में मजबूर रहूंगा जिसकी जिम्मेदारी शासन एवं प्रशासन की होगी । सवाल यहां खड़ा होता है कि जब जिला प्रशासन द्वारा इतने संगीन मामले में ध्यान ना देना कहीं ना कहीं जिला प्रशासन की भी लापरवाही सामने आ रही है यहां तक की दो-दो कैबिनेट मंत्री जिले से अपना दायित्व निभाते हैं और यहां पर जिला प्रशासन की इस तरह की गैर जिम्मेदाराना हरकत बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है यहां पर इस मामले में एक बात यह भी आती है कि जब एक माह बीत गया और न्याय की मांग के लिए प्रार्थी दर-दर भटक रहा और यहां तक कि उसे अपने आप को छोटी सी मासूम बच्ची के साथ आत्महत्या करने के लिए मजबूर होकर जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहा है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन प्रशासन की कार्य प्रणाली संदेह के घेरे में है वही प्रार्थी ने शासन प्रशासन को 15 से 20 दिनों का अल्टीमेटम देकर चेताया है कि जल्द से जल्द डॉक्टर बीएमओ एस एस धुर्वे सहित अन्य दोषियों पर कार्यवाही नहीं की गई तो मैं आत्महत्या कर लूंगा अब देखना यह होगा कि इस मामले में जिला प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है या फिर राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण उन दोषियों पर औपचारिक कार्यवाही कर मामला को रफा-दफा कर दिया जाएगा या फिर मानसिक रूप से प्रताड़ित मजबूर पति न्याय के लिए दर-दर भटकता ही रहेगा, यह लापरवाही यहां पर अभी खत्म नहीं हुई क्योंकि हालही में इसी तरह की एक और लापरवाही सामने आई है जहां स्टाफ की इसी तरह की लापरवाही से 8 वर्षीय नवजात शिशु की भी मौत हो गई और परिवार जनों ने गंभीर आरोप लगाए कि डॉक्टरों की लापरवाही से हमारे बच्चे की मौत हो गई लेकिन इस मामले में भी जिला प्रशासन ने ना ही संबंधित जिलाधिकारी ने संज्ञान लेकर कार्यवाही की और ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसे संगीन आरोप लगने के बावजूद भी ध्यान नहीं दिया जाना कहीं ना कहीं यह आम जनता जनार्दन के साथ छल करने के साथ-साथ उनका शोषण किया जा रहा है और इसी के चलते वह इतने बड़े-बड़े कदम उठा लेते हैं की आत्महत्या करना ही उनके लिए एक रास्ता नजर आता है बहरहाल देखना होगा कि अब जिले में दो-दो कैबिनेट मंत्री एवं जिला प्रशासन द्वारा इन लापरवाह अधिकारियों पर क्या कार्यवाही करते हैं और किस तरह से दर-दर भटक रहे लोगों को न्याय दिलाते

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