ग्रामीणों ने डिप्टी रेंजर और वनरक्षक को सस्पेंड किए जाने की उठाई मांग लगाए चौथ वसूली के आरोप

गोपीसुर सतकुंडा के ग्रामीणों ने खरबई के डिप्टी रेंजर और वनरक्षक को सस्पेंड किए जाने के खिलाफ खोला मोर्चा ,डीएफओ रायसेन को ज्ञापन सौंप कर दोनों वनकर्मियों को निलंबित किए जाने की उठाई मांग लगाए चौथ वसूली के आरोप
रायसेन। खरबई के डिप्टी रेंजर सर्जन सिंह मीणा फॉरेस्ट गार्ड श्री राम सिरसाम को सस्पेंड किए जाने की मांग को लेकर गोपीसुर सतकुंडा के ग्रामीणों महिलाओं ने मंगलवार को दोपहर मोर्चा खोला। ग्रामीणों ने अमन शर्मा भोपाल के नेतृत्व में डीएफओ रायसेन विजय कुमार एसडीओ सुधीर पटले को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में गोपी लाल बंजारा, प्रेम नारायण ,बाबूलाल गणेशाराम, प्रताप सिंह, फूल सिंह गोविंद सिंह ,,जगनलाल नर्मदा प्रसाद नर्मदा भाई ,ममता बाई मालाबाई बंजारा राधाबाई, कमल भाई ,गोविंदा रामकली बाई प्रदीप गणेशाराम आदि ने बताया कि हम सभी रहवासी तहसील रायसेन के गोपीसुर सतकुंडा गांव के हैं ।यहां खरबई वनरेंज के डिप्टी रेंजर सर्जन सिंह मीणा फॉरेस्ट गार्ड श्रीराम सिरसाम द्वारा अवैध रूप से चौथ वसूली की जाती है जिससे ग्रामीण खाते परेशान है ।इसके अलावा ग्रामीणों के पीएम आवास मंजूर होने के बाद भी बनने नहीं देते ।वही इन दोनों गांव में पानी की भीषण संकट बना रहता है ।इसलिए यहां भोपाल के एक बड़े किसान की निजी जमीन पर बोर किया जा रहा था। तो डिप्टी डेंजर मीणा ने वनकर्मियों की मदद लेकर इसे रोक दिया गया ।जिससे हम सभी ग्रामीण पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं।
यह है सारा विवाद का मामला….
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 18 जनवरी को दोपहर सात कुंडा में भोपाल निवासी अमन शर्मा के निजी राजस्व की भूमि पर ट्यूबवेल उत्खनन करवाया जा रहा था ।तभी सर्जन सिंह मीणा डिप्टी डेंजर और फॉरेस्ट गार्ड श्रीराम सिरसाम सात कुंडा गांव पहुंचे उन्होंने यहां ट्यूबवेल मशीन से बोर हो रहे कार्य को रोक दिया जिससे बंजारा समाज और अन्य समाज की महिलाएं मां कर्मियों की इस कार्रवाई से बिहार पड़ी और काफी खरीद होती सुने डिप्टी डेंजर मीणा फॉरेस्ट का गार्ड सिरसाम ने भी महिलाओं के साथ अभद्रता करते हुए गाली गलौज की। उन्होंने जान से मारने की धमकी भी दी ।इसीलिए दोनों वनकर्मियों को सस्पेंड करके उनकी विभागीय जांच शुरू की जाए। इस मामले की शिकायत 18 जनवरी 20 25 को फरवरी पुलिस चौकी में भी की गई है ।जबकि राज्य सरकार द्वारा लगभग चार वर्ष पूर्व वन ग्रामों को खत्म कर गोपीसुर सतकुंडा को राजस्व ग्राम घोषित कर दिया गया है। लेकिन विटामिन यह है कि वन विभाग के मैप नक्शे में आज भी वनग्राम दिखाई देते हैं। वर्तमान में गोपीसुर और सतकुंडा गांव की राजस्व जमीनों की ऑन लाइन रजिस्ट्रियां भी हो रही है और नामांतरण भी हो चुके हैं ।तो फिर वन विभाग अपनी गलती में सुधार क्यों नहीं करता…? गोपीसुर सतकुंडा के राजस्व नशे के अनुसार निजी जमीनों पर बोरवेल अथवा कोई निर्माण कार्य किए जाने पर वन विभाग किसी भी तरह की कोई आपत्ति ना उठाएं तो बेहतर होगा।
ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए कहा कि वनमहकमे के अधिकारियों ने यदि इन्हें सस्पेंड नहीं किया गया तो मुख्यमंत्री के निवास भोपाल पर जाकर आंदोलन किया जाएगा।

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