बीजेपी की कारस्तानी फिर बेनक़ाब हुई, कमलनाथ ने नाराज़गी की खबरों का किया खंडन
मध्यप्रदेश बीजेपी इन दिनों बेनक़ाबी के दौर से गुजर रही है। बीजेपी कांग्रेस के खिलाफ जितने भी षड्यंत्र करती है, हर षड्यंत्र बीजेपी का असली चरित्र सामने लाकर उसे बेनक़ाब कर देता है।
हाल ही में बीजेपी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की नाराज़गी की निराधार खबरों को जनसंपर्क विभाग के ज़रिये प्लांट कराया और कांग्रेस में असंतोष दिखाने की कोशिश की लेकर वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने स्वयं ट्वीट कर नाराज़गी की खबरों का खंडन कर दिया। बीजेपी बेचारी फिर अपना सा मुँह लेकर रह गई।
बीजेपी के कुछ फ़ुरसतिया नेताओं ने जिस ज़ूम मीटिंग का हवाला देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की नाराज़गी की फर्जी स्क्रिप्ट तैयार की थी दरअसल वो एक गोपनीय मीटिंग थी जिसमें वरिष्ठ नेताओं के अतिरिक्त न तो कोई मीडिया प्रतिनिधि शामिल था, न ही कोई प्रवक्ता शामिल हुआ, ऐसे में मीटिंग से संबंधित कोई भी बात या अपडेट बाहर आने का औचित्य ही नहीं उठता। बीजेपी की पूरी साज़िश का भंडाफोड़ तब हो गया जब कमलनाथ ने पूरे मामले को मनगढ़ंत और निराधार बताते ट्वीट कर दिया।
पिछले एक साल में यह पहला मौक़ा नहीं है जब बीजेपी की डर्टी पॉलिटिक्स ने जीतू पटवारी को कमजोर करने का षड्यंत्र रचा लेकिन हर बार की तरह इस बार भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी बीजेपी के चक्रव्यूह से बेदाग़ बाहर आने में कामयाब हो गए।
पूरे प्रदेश में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी सभी नेताओं को साथ लेने और समन्वय बनाकर काम करने में कामयाब हो चुके हैं, यही बीजेपी के लिये सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। पिछले दो उपचुनाव में बीजेपी को धूल चटाने वाले जीतू पटवारी को रोकना अब बीजेपी के बस की बात नज़र नहीं आ रही है, यही वजह है कि बीजेपी सरकारी दम पर जीतू पटवारी को उलझाने की फ़िराक़ में लगी रहती है, और राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी जीतू पटवारी बीजेपी को मौक़ा मिलते ही उधेड़ने में नहीं चूकते हैं। कांग्रेस के लिये ख़ुशी की बात है कि अब मध्यप्रदेश में बीजेपी से टक्कर कहीं बराबरी की होती है, तो कहीं जीतू पटवारी का पलड़ा भारी दिखता है।