उज्जैन और सिद्धार्थनगर में महिलाओं के साथ हुई बर्बरता मानवता पर कलंक है।
महिलाओं के खिलाफ लगातार बढ़ते अपराध और पुलिस प्रशासन का पीड़िता और उसके परिवार के प्रति रवैया सिस्टम की बेरहमी का सबूत है और देश के लिए गंभीर चिंतन का विषय है।
प्रचार केंद्रित सरकारों ने अपनी झूठी छवि गढ़ने के लिए एक असंवेदनशील व्यवस्था को जन्म दिया है, जिसका सबसे बड़ा शिकार महिलाएं हो रही हैं।
समय आ चुका है कि महिला सुरक्षा के लिए समाज के नैतिक उत्थान की दिशा में गंभीर प्रयास किए जाएं – सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक हर स्तर पर कड़े कदम उठाए जाएं।
बेहतर नागरिक, बेहतर व्यवस्था को जन्म देता है और बेहतर व्यवस्था ही एक बेहतर समाज बनाती है।
