नाबालिग बालिका के साथ बलात्कार करने के वाले आरोपी को
20 वर्ष कारावास एवं 5,000 रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया
माननीय न्यायालय – अनन्य विशेष न्यायाधीश (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012) जिला रायसेन म0प्र0 द्वारा आरोपी अंकित यादव आत्मज स्व. रामबाबू यादव, आयु 22 वर्ष, निवासी वार्ड नं. 16, बिहारी मोहल्ला, सतलापुर थाना सतलापुर, जिला रायसेन (म.प्र.) को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 3 सहपठित धारा 4(2) में 20 वर्ष का कठोर कारावास एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 366 में 5 वर्ष के कठोर कारावास तथा कुल 5000/- रुपए के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
इस मामले में शासन की ओर से श्रीमती भारती गेडाम, अति. डीपीओ जिला रायसेन ने पैरवी की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि, दिनांक 03.07.2023 को समय अभियोक्त्री ने थाना औद्योगिक क्षेत्र सतलापुर में इस आशय की टंकित रिपोर्ट प्रदर्श पी. 1 प्रस्तुत की कि वह कक्षा 6वीं में अध्ययनरत होकर सरकारी स्कूल सतलापुर में पढ़ती है उसकी माता सतलापुर चौराहे के पास मेघा पैलेस में साफ-सफाई करने जाती है, वह भी कभी-कभी वहां उसकी मम्मी के साथ जाती थी। लगभग 1 वर्ष पहले उसकी अभियुक्त से दोस्ती हो गयी थी और वे आपस में बातचीत करते थे अभियुक्ते ने उसे कहा कि वह उसे प्यार करता है इस पर वह भी अभियुक्त को पसंद करने लगी। कल दिनांक 02.07.2023 को शाम 07:00 बजे वह मेघा पैलेस से उसके घर जा रही थी तब मेघा पैलेस के सामने अभियुक्त उसे मिला और कहने लगा कि वह उसे मण्डीदीप से घुमाकर लाता है, इस पर उसने मना कर दिया। अभियुक्त ने उसे कहा कि मेरे साथ थोड़ी देर चलो उसके बाद वह उसे घर छोड़ देगा फिर अभियुक्त उसे मण्डीिदीप रेल्वे स्टेशन के पास एक खाल जगह में ले गया और मना करने के बाद भी उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाये वहां पर कोई नहीं था, तब उसने अभियुक्त से कहा कि उसे घर छोड़ दो, इस पर अभियुक्त ने कहा कि बहुत रात हो गयी है, सुबह घर छोड़ देगा, सुबह करीब 06:00 बजे अभियुक्त का भाई मुन्ना यादव उन्हें ढूंढने स्टेशन आया और उसे लेकर उसके घर छोड़ दिया, घर आकर उसने संपूर्ण घटना उसके परिवार वालों को बतायी है। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाना औद्योगिक क्षेत्र सतलापुर में अपराध क्र. 213/2023 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की गयी।
प्रकरण की विवेचना के दौरान पीडि़ता व उसकी मां के धारा 164 दप्रसं. के अंतर्गत कथन लेखबद्ध किये गये।
संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। माननीय न्यायालय द्वारा विचारण उपरांत आरोपी को दोषसिद्ध किया गया।