



बीते चार महीनों से रायसेन जिला मुख्यालय सहित आसपास के 36 गांवों में लगातार टाइगर के मूवमेंट के कारण फैली दहशत आखिरकार आज खत्म हो गई।बीते 10 दिनों से रायसेन रातापानी सेंचुरी सहित पन्ना कान्हा, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की 150 जवानों की टीम 5 हाथियों के दल के साथ इस टाइगर का रेसस्क्यू करने के लिए तपती गर्मी में जंगल में कड़ी मेहनत कर रही थी। जिसके बाद बाघ को वन विभाग द्वारा आज गुरुवार दोपहर करीब 2:30 बजे आख़िर कार पकड़ लिया गया है।
बीती दस दिनों से कान्हा और पन्ना रिजर्व से पांच हाथियों सहित 100 से अधिक वन विभाग के जवानों डीएफओ से लेकर एसडीओ और रेंजर जंगलों में रॉयल बाघ का रेस्क्यू करने में लगे गुरुवार को बाघ का मूवमेंट रायसेन शहर के पास स्थित सूरई के जंगल में बाघ को घेर कर दो इंजेक्शन से दो घण्टे में बेहोश कर बाघ का रेस्क्यू कर लिया है।एक महीने पहले नीमखेड़ा निवासी मनीराम जाटव का इसी बाघ द्वारा शिकार किया गया था।आज जैसे ही बाग के पकड़े जाने की खबर इंडिया न्यूज़ को मिली तो हमने मौके पर पहुंच कर टाइगर को लाने वाले वाहन को स्पॉट किया।
आपको बता दें कि करीब 6 महीने से बाघ शहर के आसपास ही जंगलों में अपना डेरा डाले हुए था।डीएफओ विजय कुमार ने टाइगर के रेसस्कू होने के बाद भी लोगों से घने जंगलों में सतर्कता से जाने की अपील की है। क्योंकि रायसेन जिले में अब भी 70 से ज्यादा बाघ रातापानी और रायसेन के आसपास के जंगलों में मौजूद हैं। लेकिन रायसेन शहर सहित आसपास के 36 गांवों में खोफ का पर्याय बन चुके इस टाइगर को अब सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में कॉलर आईडी पहना कर छोड़ा जाएगा।